(1). विवाद, व्यूज़ और यूट्यूब की नौटंकी: कंटेंट या कॉन्ट्रोवर्सी:- आजकल यूट्यूब एक ऐसा मंच बन चुका है जहाँ दो तरह के यूट्यूबर्स नजर आते हैं — एक वो जो मेहनत से कंटेंट बनाते हैं, और दूसरे वो जो हर हफ्ते नया तमाशा लेकर आते हैं।
(2). वायरलिटी की चाहत और एल्गोरिदम का खेल:- कुछ यूट्यूबर्स का सीधा फॉर्मूला है: "किसी को घसीटो, पब्लिक को भड़काओ, और व्यूज लूटो!" सुबह इल्ज़ाम, दोपहर को इंस्टा लाइव पर रोना, और रात को "सच सामने आ गया" वाली वीडियो! क्यों? क्योंकि कंट्रोवर्सी बिकती है।
(3). कॉमेडी या संवेदनहीनता:- अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर कई बार ऐसे विषयों पर मज़ाक कर दिया जाता है जो सामाजिक रूप से संवेदनशील होते हैं। फर्क बस इतना है कि मज़ाक कहां खत्म होता है और बदतमीज़ी कहां शुरू – ये तय करने की फुर्सत किसी के पास नहीं।
(4). कानून की जानकारी या जान-बूझकर अनदेखी:-कई बार इन ‘नौटंकीबाज़ों’ को पता ही नहीं होता कि वो अश्लीलता, मानहानि या साइबर क्राइम जैसे कानूनों को लांघ रहे हैं। और जब फँसते हैं तो कहते हैं: "Guys, मैं डिप्रेशन में हूं... ये मेरी आखिरी वीडियो है" (और अगली सुबह नया व्लॉग – "घर लौट आया हूं – Full Tour!")
(5). सोशल मीडिया ट्रेंड्स और मोनेटाइज़ड माफ़ी:- हर बवाल के बाद माफ़ी भी स्टाइल में होती है – आँसू वाले थंबनेल, इमोशनल म्यूज़िक, और Ads ऑन रखना कभी नहीं भूलते! "पाप भी करो, पैसा भी कमाओ!" यही इनका मंत्र बन चुका है।