(रवि देर रात वॉशरूम में जाता है और हाथ धोते हुए आईने में खुद को देखता है। अचानक, उसकी परछाई मुस्कुराने लगती है, जबकि वह खुद सीधा खड़ा रहता है।)
रवि :- (घबराकर) ये… ये क्या था?
(वह पीछे हटता है, लेकिन आईने में उसकी परछाई हिलती नहीं, बस मुस्कान गहरी हो जाती है।)
रवि :- कौन है तू?
(परछाई धीरे से बोलती है, लेकिन रवि के होंठ नहीं हिलते।)
परछाई :- (धीमे स्वर में) "मैं... असली हूँ।"
(अचानक, आईने से एक हाथ बाहर निकलने लगता है…)
(लाइट बंद हो जाती है, और रवि की चीख गूंज उठती है।)
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